Tuesday, 12 November, 2024

Ram’s message

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राम का संदेश
 
पुरजन परिजन सकल निहोरी । तात सुनाएहु बिनती मोरी ॥
सोइ सब भाँति मोर हितकारी । जातें रह नरनाहु सुखारी ॥१॥
 
कहब सँदेसु भरत के आएँ । नीति न तजिअ राजपदु पाएँ ॥
पालेहु प्रजहि करम मन बानी । सेएहु मातु सकल सम जानी ॥२॥
 
ओर निबाहेहु भायप भाई । करि पितु मातु सुजन सेवकाई ॥
तात भाँति तेहि राखब राऊ । सोच मोर जेहिं करै न काऊ ॥३॥
 
लखन कहे कछु बचन कठोरा । बरजि राम पुनि मोहि निहोरा ॥
बार बार निज सपथ देवाई । कहबि न तात लखन लरिकाई ॥४॥
 
(दोहा)
कहि प्रनाम कछु कहन लिय सिय भइ सिथिल सनेह ।
थकित बचन लोचन सजल पुलक पल्लवित देह ॥ १५२ ॥

 

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