Monday, 16 September, 2024

The story of Tarakasur

120 Views
Share :
The story of Tarakasur

The story of Tarakasur

120 Views

तारकासुर की कथा
 
(चौपाई)
जाइ मुनिन्ह हिमवंतु पठाए । करि बिनती गिरजहिं गृह ल्याए ॥
बहुरि सप्तरिषि सिव पहिं जाई । कथा उमा कै सकल सुनाई ॥१॥
 
भए मगन सिव सुनत सनेहा । हरषि सप्तरिषि गवने गेहा ॥
मनु थिर करि तब संभु सुजाना । लगे करन रघुनायक ध्याना ॥२॥
 
तारकु असुर भयउ तेहि काला । भुज प्रताप बल तेज बिसाला ॥
तेंहि सब लोक लोकपति जीते । भए देव सुख संपति रीते ॥३॥
 
अजर अमर सो जीति न जाई । हारे सुर करि बिबिध लराई ॥
तब बिरंचि सन जाइ पुकारे । देखे बिधि सब देव दुखारे ॥४॥
 
(दोहा)
सब सन कहा बुझाइ बिधि दनुज निधन तब होइ ।
संभु सुक्र संभूत सुत एहि जीतइ रन सोइ ॥ ८२ ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *