Agatsya recommend Panchvati for Ram
By-Gujju27-04-2023
Agatsya recommend Panchvati for Ram
By Gujju27-04-2023
श्रीराम के निवास हेतु पंचवटी उचित
तब रघुबीर कहा मुनि पाहीं। तुम्ह सन प्रभु दुराव कछु नाही ॥
तुम्ह जानहु जेहि कारन आयउँ। ताते तात न कहि समुझायउँ ॥१॥
अब सो मंत्र देहु प्रभु मोही। जेहि प्रकार मारौं मुनिद्रोही ॥
मुनि मुसकाने सुनि प्रभु बानी। पूछेहु नाथ मोहि का जानी ॥२॥
तुम्हरेइँ भजन प्रभाव अघारी। जानउँ महिमा कछुक तुम्हारी ॥
ऊमरि तरु बिसाल तव माया। फल ब्रह्मांड अनेक निकाया ॥३॥
जीव चराचर जंतु समाना। भीतर बसहि न जानहिं आना ॥
ते फल भच्छक कठिन कराला। तव भयँ डरत सदा सोउ काला ॥४॥
ते तुम्ह सकल लोकपति साईं। पूँछेहु मोहि मनुज की नाईं ॥
यह बर मागउँ कृपानिकेता। बसहु हृदयँ श्री अनुज समेता ॥५॥
अबिरल भगति बिरति सतसंगा। चरन सरोरुह प्रीति अभंगा ॥
जद्यपि ब्रह्म अखंड अनंता। अनुभव गम्य भजहिं जेहि संता ॥६॥
अस तव रूप बखानउँ जानउँ। फिरि फिरि सगुन ब्रह्म रति मानउँ ॥
संतत दासन्ह देहु बड़ाई। तातें मोहि पूँछेहु रघुराई ॥७॥
है प्रभु परम मनोहर ठाऊँ। पावन पंचबटी तेहि नाऊँ ॥
दंडक बन पुनीत प्रभु करहू। उग्र साप मुनिबर कर हरहू ॥८॥
बास करहु तहँ रघुकुल राया। कीजे सकल मुनिन्ह पर दाया ॥
चले राम मुनि आयसु पाई। तुरतहिं पंचबटी निअराई ॥९॥
(दोहा)
गीधराज सैं भैंट भइ बहु बिधि प्रीति बढ़ाइ ॥
गोदावरी निकट प्रभु रहे परन गृह छाइ ॥ १३ ॥