Friday, 15 November, 2024

Bal Kand Doha 114

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रामकथा का महात्म्य
 
(चौपाई)
रामकथा सुंदर कर तारी । संसय बिहग उडावनिहारी ॥
रामकथा कलि बिटप कुठारी । सादर सुनु गिरिराजकुमारी ॥१॥
 
राम नाम गुन चरित सुहाए । जनम करम अगनित श्रुति गाए ॥
जथा अनंत राम भगवाना । तथा कथा कीरति गुन नाना ॥२॥
 
तदपि जथा श्रुत जसि मति मोरी । कहिहउँ देखि प्रीति अति तोरी ॥
उमा प्रस्न तव सहज सुहाई । सुखद संतसंमत मोहि भाई ॥३॥
 
एक बात नहि मोहि सोहानी । जदपि मोह बस कहेहु भवानी ॥
तुम जो कहा राम कोउ आना । जेहि श्रुति गाव धरहिं मुनि ध्याना ॥४॥
 
(दोहा)
कहहि सुनहि अस अधम नर ग्रसे जे मोह पिसाच ।
पाषंडी हरि पद बिमुख जानहिं झूठ न साच ॥ ११४ ॥

 

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