रामजन्म की खुशी में अयोध्या में खुशहाली
(चौपाई)
कैकयसुता सुमित्रा दोऊ । सुंदर सुत जनमत भैं ओऊ ॥
वह सुख संपति समय समाजा । कहि न सकइ सारद अहिराजा ॥१॥
अवधपुरी सोहइ एहि भाँती । प्रभुहि मिलन आई जनु राती ॥
देखि भानू जनु मन सकुचानी । तदपि बनी संध्या अनुमानी ॥२॥
अगर धूप बहु जनु अँधिआरी । उड़इ अभीर मनहुँ अरुनारी ॥
मंदिर मनि समूह जनु तारा । नृप गृह कलस सो इंदु उदारा ॥३॥
भवन बेदधुनि अति मृदु बानी । जनु खग मूखर समयँ जनु सानी ॥
कौतुक देखि पतंग भुलाना । एक मास तेइँ जात न जाना ॥४॥
(दोहा)
मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ ।
रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ ॥ १९५ ॥