रामनाम की महिमा
(चौपाई)
समुझत सरिस नाम अरु नामी । प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी ॥
नाम रूप दुइ ईस उपाधी । अकथ अनादि सुसामुझि साधी ॥१॥
को बड़ छोट कहत अपराधू । सुनि गुन भेद समुझिहहिं साधू ॥
देखिअहिं रूप नाम आधीना । रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना ॥२॥
रूप बिसेष नाम बिनु जानें । करतल गत न परहिं पहिचानें ॥
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें । आवत हृदयँ सनेह बिसेषें ॥३॥
नाम रूप गति अकथ कहानी । समुझत सुखद न परति बखानी ॥
अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी । उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी ॥४॥
(दोहा)
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार ।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर ॥ २१ ॥