रामविवाह के समाचार से अवधवासी अति प्रसन्न
(चौपाई)
जहँ तहँ जूथ जूथ मिलि भामिनि । सजि नव सप्त सकल दुति दामिनि ॥
बिधुबदनीं मृग सावक लोचनि । निज सरुप रति मानु बिमोचनि ॥१॥
गावहिं मंगल मंजुल बानीं । सुनिकल रव कलकंठि लजानीं ॥
भूप भवन किमि जाइ बखाना । बिस्व बिमोहन रचेउ बिताना ॥२॥
मंगल द्रब्य मनोहर नाना । राजत बाजत बिपुल निसाना ॥
कतहुँ बिरिद बंदी उच्चरहीं । कतहुँ बेद धुनि भूसुर करहीं ॥३॥
गावहिं सुंदरि मंगल गीता । लै लै नामु रामु अरु सीता ॥
बहुत उछाहु भवनु अति थोरा । मानहुँ उमगि चला चहु ओरा ॥४॥
(दोहा)
सोभा दसरथ भवन कइ को कबि बरनै पार ।
जहाँ सकल सुर सीस मनि राम लीन्ह अवतार ॥ २९७ ॥