Friday, 15 November, 2024

Bal Kand Doha 297

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Bal Kand  							Doha 297

Bal Kand Doha 297

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रामविवाह के समाचार से अवधवासी अति प्रसन्न
 
(चौपाई)
जहँ तहँ जूथ जूथ मिलि भामिनि । सजि नव सप्त सकल दुति दामिनि ॥
बिधुबदनीं मृग सावक लोचनि । निज सरुप रति मानु बिमोचनि ॥१॥

गावहिं मंगल मंजुल बानीं । सुनिकल रव कलकंठि लजानीं ॥
भूप भवन किमि जाइ बखाना । बिस्व बिमोहन रचेउ बिताना ॥२॥

मंगल द्रब्य मनोहर नाना । राजत बाजत बिपुल निसाना ॥
कतहुँ बिरिद बंदी उच्चरहीं । कतहुँ बेद धुनि भूसुर करहीं ॥३॥

गावहिं सुंदरि मंगल गीता । लै लै नामु रामु अरु सीता ॥
बहुत उछाहु भवनु अति थोरा । मानहुँ उमगि चला चहु ओरा ॥४॥

(दोहा)
सोभा दसरथ भवन कइ को कबि बरनै पार ।
जहाँ सकल सुर सीस मनि राम लीन्ह अवतार ॥ २९७ ॥

 

 

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