Sunday, 22 December, 2024

Bal Kand Doha 37

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रामचरितमानस कथा की तुलना
 
(चौपाई)
सप्त प्रबन्ध सुभग सोपाना । ग्यान नयन निरखत मन माना ॥
रघुपति महिमा अगुन अबाधा । बरनब सोइ बर बारि अगाधा ॥१॥
 
राम सीय जस सलिल सुधासम । उपमा बीचि बिलास मनोरम ॥
पुरइनि सघन चारु चौपाई । जुगुति मंजु मनि सीप सुहाई ॥२॥
 
छंद सोरठा सुंदर दोहा । सोइ बहुरंग कमल कुल सोहा ॥
अरथ अनूप सुमाव सुभासा । सोइ पराग मकरंद सुबासा ॥३॥
 
सुकृत पुंज मंजुल अलि माला । ग्यान बिराग बिचार मराला ॥
धुनि अवरेब कबित गुन जाती । मीन मनोहर ते बहुभाँती ॥४॥
 
अरथ धरम कामादिक चारी । कहब ग्यान बिग्यान बिचारी ॥
नव रस जप तप जोग बिरागा । ते सब जलचर चारु तड़ागा ॥५॥
 
सुकृती साधु नाम गुन गाना । ते बिचित्र जल बिहग समाना ॥
संतसभा चहुँ दिसि अवँराई । श्रद्धा रितु बसंत सम गाई ॥६॥
 
भगति निरुपन बिबिध बिधाना । छमा दया दम लता बिताना ॥
सम जम नियम फूल फल ग्याना । हरि पत रति रस बेद बखाना ॥७॥
 
औरउ कथा अनेक प्रसंगा । तेइ सुक पिक बहुबरन बिहंगा ॥८॥
 
(दोहा)
 
पुलक बाटिका बाग बन सुख सुबिहंग बिहारु ।
माली सुमन सनेह जल सींचत लोचन चारु ॥ ३७ ॥

 

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