Saturday, 28 December, 2024

Bharat agree to sit in chariot

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कौशल्या की आज्ञा से भरत रथाधीन हुआ
 
राम दरस बस सब नर नारी । जनु करि करिनि चले तकि बारी ॥
बन सिय रामु समुझि मन माहीं । सानुज भरत पयादेहिं जाहीं ॥१॥
 
देखि सनेहु लोग अनुरागे । उतरि चले हय गय रथ त्यागे ॥
जाइ समीप राखि निज डोली । राम मातु मृदु बानी बोली ॥२॥
 
तात चढ़हु रथ बलि महतारी । होइहि प्रिय परिवारु दुखारी ॥
तुम्हरें चलत चलिहि सबु लोगू । सकल सोक कृस नहिं मग जोगू ॥३॥
 
सिर धरि बचन चरन सिरु नाई । रथ चढ़ि चलत भए दोउ भाई ॥
तमसा प्रथम दिवस करि बासू । दूसर गोमति तीर निवासू ॥४॥
 
(दोहा)  
पय अहार फल असन एक निसि भोजन एक लोग ।
करत राम हित नेम ब्रत परिहरि भूषन भोग ॥ १८८ ॥

 

 

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