Friday, 15 November, 2024

Bharat long for Ram’s arrival

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Bharat long for Ram’s arrival

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श्रीराम के आगमन का भरत को इंतजार
 
रहेउ एक दिन अवधि अधारा । समुझत मन दुख भयउ अपारा ॥
कारन कवन नाथ नहिं आयउ । जानि कुटिल किधौं मोहि बिसरायउ ॥१॥  
 
अहह धन्य लछिमन बड़भागी । राम पदारबिंदु अनुरागी ॥
कपटी कुटिल मोहि प्रभु चीन्हा । ताते नाथ संग नहिं लीन्हा ॥२॥
 
जौं करनी समुझै प्रभु मोरी । नहिं निस्तार कलप सत कोरी ॥
जन अवगुन प्रभु मान न काऊ । दीन बंधु अति मृदुल सुभाऊ ॥३॥
 
मोरि जियँ भरोस दृढ़ सोई । मिलिहहिं राम सगुन सुभ होई ॥
बीतें अवधि रहहि जौं प्राना । अधम कवन जग मोहि समाना ॥४॥
 
(दोहा)
राम बिरह सागर महँ भरत मगन मन होत ।
बिप्र रूप धरि पवन सुत आइ गयउ जनु पोत ॥ १(क) ॥ 
 
बैठि देखि कुसासन जटा मुकुट कृस गात ।
राम राम रघुपति जपत स्त्रवत नयन जलजात ॥ १(ख) ॥

 

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