Bharat reach Ram’s place
By-Gujju01-05-2023
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भरत श्रीराम के आश्रम पर पहूँचा
सेवक बचन सत्य सब जाने । आश्रम निकट जाइ निअराने ॥
भरत दीख बन सैल समाजू । मुदित छुधित जनु पाइ सुनाजू ॥१॥
ईति भीति जनु प्रजा दुखारी । त्रिबिध ताप पीड़ित ग्रह मारी ॥
जाइ सुराज सुदेस सुखारी । होहिं भरत गति तेहि अनुहारी ॥२॥
राम बास बन संपति भ्राजा । सुखी प्रजा जनु पाइ सुराजा ॥
सचिव बिरागु बिबेकु नरेसू । बिपिन सुहावन पावन देसू ॥३॥
भट जम नियम सैल रजधानी । सांति सुमति सुचि सुंदर रानी ॥
सकल अंग संपन्न सुराऊ । राम चरन आश्रित चित चाऊ ॥४॥
(दोहा)
जीति मोह महिपालु दल सहित बिबेक भुआलु ।
करत अकंटक राजु पुरँ सुख संपदा सुकालु ॥ २३५ ॥