Monday, 23 December, 2024

Bharat want to serve Ram

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मुझे राम के पास जाना है – भरत
 
हित हमार सियपति सेवकाई । सो हरि लीन्ह मातु कुटिलाई ॥
मैं अनुमानि दीख मन माहीं । आन उपायँ मोर हित नाहीं ॥१॥
 
सोक समाजु राजु केहि लेखें । लखन राम सिय बिनु पद देखें ॥
बादि बसन बिनु भूषन भारू । बादि बिरति बिनु ब्रह्म बिचारू ॥२॥
 
सरुज सरीर बादि बहु भोगा । बिनु हरिभगति जायँ जप जोगा ॥
जायँ जीव बिनु देह सुहाई । बादि मोर सबु बिनु रघुराई ॥३॥
 
जाउँ राम पहिं आयसु देहू । एकहिं आँक मोर हित एहू ॥
मोहि नृप करि भल आपन चहहू । सोउ सनेह जड़ता बस कहहू ॥४॥
 
(दोहा)
कैकेई सुअ कुटिलमति राम बिमुख गतलाज ।
तुम्ह चाहत सुखु मोहबस मोहि से अधम कें राज ॥ १७८ ॥

 

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