Caucus reach Sringverpur
By-Gujju01-05-2023
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समुह शृंगवेरपुर पहूँचा
सृंगबेरपुर भरत दीख जब । भे सनेहँ सब अंग सिथिल तब ॥
सोहत दिएँ निषादहि लागू । जनु तनु धरें बिनय अनुरागू ॥१॥
एहि बिधि भरत सेनु सबु संगा । दीखि जाइ जग पावनि गंगा ॥
रामघाट कहँ कीन्ह प्रनामू । भा मनु मगनु मिले जनु रामू ॥२॥
करहिं प्रनाम नगर नर नारी । मुदित ब्रह्ममय बारि निहारी ॥
करि मज्जनु मागहिं कर जोरी । रामचंद्र पद प्रीति न थोरी ॥३॥
भरत कहेउ सुरसरि तव रेनू । सकल सुखद सेवक सुरधेनू ॥
जोरि पानि बर मागउँ एहू । सीय राम पद सहज सनेहू ॥४॥
(दोहा)
एहि बिधि मज्जनु भरतु करि गुर अनुसासन पाइ ।
मातु नहानीं जानि सब डेरा चले लवाइ ॥ १९७ ॥