रामजन्म की खुशी में अयोध्या में उत्सव
(चौपाई)
ध्वज पताक तोरन पुर छावा । कहि न जाइ जेहि भाँति बनावा ॥
सुमनबृष्टि अकास तें होई । ब्रह्मानंद मगन सब लोई ॥१॥
बृंद बृंद मिलि चलीं लोगाई । सहज संगार किएँ उठि धाई ॥
कनक कलस मंगल धरि थारा । गावत पैठहिं भूप दुआरा ॥२॥
करि आरति नेवछावरि करहीं । बार बार सिसु चरनन्हि परहीं ॥
मागध सूत बंदिगन गायक । पावन गुन गावहिं रघुनायक ॥३॥
सर्बस दान दीन्ह सब काहू । जेहिं पावा राखा नहिं ताहू ॥
मृगमद चंदन कुंकुम कीचा । मची सकल बीथिन्ह बिच बीचा ॥४॥
(दोहा)
गृह गृह बाज बधाव सुभ प्रगटे सुषमा कंद ।
हरषवंत सब जहँ तहँ नगर नारि नर बृंद ॥ १९४ ॥