Check what’s in Bharat’s mind – wise man advise
By-Gujju01-05-2023
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वृद्ध ने कहा, पहले भरत का मन परखो
राम प्रताप नाथ बल तोरे । करहिं कटकु बिनु भट बिनु घोरे ॥
जीवत पाउ न पाछें धरहीं । रुंड मुंडमय मेदिनि करहीं ॥१॥
दीख निषादनाथ भल टोलू । कहेउ बजाउ जुझाऊ ढोलू ॥
एतना कहत छींक भइ बाँए । कहेउ सगुनिअन्ह खेत सुहाए ॥२॥
बूढ़ु एकु कह सगुन बिचारी । भरतहि मिलिअ न होइहि रारी ॥
रामहि भरतु मनावन जाहीं । सगुन कहइ अस बिग्रहु नाहीं ॥३॥
सुनि गुह कहइ नीक कह बूढ़ा । सहसा करि पछिताहिं बिमूढ़ा ॥
भरत सुभाउ सीलु बिनु बूझें । बड़ि हित हानि जानि बिनु जूझें ॥४॥
(दोहा)
गहहु घाट भट समिटि सब लेउँ मरम मिलि जाइ ।
बूझि मित्र अरि मध्य गति तस तब करिहउँ आइ ॥ १९२ ॥