Monday, 23 December, 2024

Check what’s in Bharat’s mind – wise man advise

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वृद्ध ने कहा, पहले भरत का मन परखो
 
राम प्रताप नाथ बल तोरे । करहिं कटकु बिनु भट बिनु घोरे ॥
जीवत पाउ न पाछें धरहीं । रुंड मुंडमय मेदिनि करहीं ॥१॥
 
दीख निषादनाथ भल टोलू । कहेउ बजाउ जुझाऊ ढोलू ॥
एतना कहत छींक भइ बाँए । कहेउ सगुनिअन्ह खेत सुहाए ॥२॥
 
बूढ़ु एकु कह सगुन बिचारी । भरतहि मिलिअ न होइहि रारी ॥
रामहि भरतु मनावन जाहीं । सगुन कहइ अस बिग्रहु नाहीं ॥३॥
 
सुनि गुह कहइ नीक कह बूढ़ा । सहसा करि पछिताहिं बिमूढ़ा ॥
भरत सुभाउ सीलु बिनु बूझें । बड़ि हित हानि जानि बिनु जूझें ॥४॥
 
(दोहा)  
गहहु घाट भट समिटि सब लेउँ मरम मिलि जाइ ।
बूझि मित्र अरि मध्य गति तस तब करिहउँ आइ ॥ १९२ ॥

 

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