Sunday, 22 December, 2024

Dashrath ask Sumantra to take chariot

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Dashrath ask Sumantra to take chariot

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दशरथ ने सुमंत्र को रथ लेकर साथ जाने को कहा     
 
एहि बिधि राम सबहि समुझावा । गुर पद पदुम हरषि सिरु नावा ।
गनपती गौरि गिरीसु मनाई । चले असीस पाइ रघुराई ॥१॥
 
राम चलत अति भयउ बिषादू । सुनि न जाइ पुर आरत नादू ॥
कुसगुन लंक अवध अति सोकू । हहरष बिषाद बिबस सुरलोकू ॥२॥
 
गइ मुरुछा तब भूपति जागे । बोलि सुमंत्रु कहन अस लागे ॥
रामु चले बन प्रान न जाहीं । केहि सुख लागि रहत तन माहीं ॥३॥
 
एहि तें कवन ब्यथा बलवाना । जो दुखु पाइ तजहिं तनु प्राना ॥
पुनि धरि धीर कहइ नरनाहू । लै रथु संग सखा तुम्ह जाहू ॥४॥
 
(दोहा)   
सुठि सुकुमार कुमार दोउ जनकसुता सुकुमारि ।
रथ चढ़ाइ देखराइ बनु फिरेहु गएँ दिन चारि ॥ ८१ ॥

 

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