Monday, 18 November, 2024

Dashratha request Kaikeyi to reconsider second boon

142 Views
Share :
Dashratha request Kaikeyi to reconsider second boon

Dashratha request Kaikeyi to reconsider second boon

142 Views

दूसरी शर्त वापिस लेने के लिए दशरथ की कैकेयी से बिनती  
 
राम सपथ सत कहूँ सुभाऊ । राममातु कछु कहेउ न काऊ ॥
मैं सबु कीन्ह तोहि बिनु पूँछें । तेहि तें परेउ मनोरथु छूछें ॥१॥
 
रिस परिहरू अब मंगल साजू । कछु दिन गएँ भरत जुबराजू ॥
एकहि बात मोहि दुखु लागा । बर दूसर असमंजस मागा ॥२॥
 
अजहुँ हृदय जरत तेहि आँचा । रिस परिहास कि साँचेहुँ साँचा ॥
कहु तजि रोषु राम अपराधू । सबु कोउ कहइ रामु सुठि साधू ॥३॥
 
तुहूँ सराहसि करसि सनेहू । अब सुनि मोहि भयउ संदेहू ॥
जासु सुभाउ अरिहि अनुकूला । सो किमि करिहि मातु प्रतिकूला ॥४॥
 
(दोहा)   
प्रिया हास रिस परिहरहि मागु बिचारि बिबेकु ।
जेहिं देखाँ अब नयन भरि भरत राज अभिषेकु ॥ ३२ ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *