महाराजा दशरथ द्वारा विश्वामित्र का पूजन
(चौपाई)
देव पितर पूजे बिधि नीकी । पूजीं सकल बासना जी की ॥
सबहिं बंदि मागहिं बरदाना । भाइन्ह सहित राम कल्याना ॥१॥
अंतरहित सुर आसिष देहीं । मुदित मातु अंचल भरि लेंहीं ॥
भूपति बोलि बराती लीन्हे । जान बसन मनि भूषन दीन्हे ॥२॥
आयसु पाइ राखि उर रामहि । मुदित गए सब निज निज धामहि ॥
पुर नर नारि सकल पहिराए । घर घर बाजन लगे बधाए ॥३॥
जाचक जन जाचहि जोइ जोई । प्रमुदित राउ देहिं सोइ सोई ॥
सेवक सकल बजनिआ नाना । पूरन किए दान सनमाना ॥४॥
(दोहा)
देंहिं असीस जोहारि सब गावहिं गुन गन गाथ।
तब गुर भूसुर सहित गृहँ गवनु कीन्ह नरनाथ ॥ ३५१ ॥