Friday, 15 November, 2024

Decoration at Mithila

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मिथिला की सजावट
 
(चौपाई)
रचे रुचिर बर बंदनिबारे । मनहुँ मनोभवँ फंद सँवारे ॥
मंगल कलस अनेक बनाए । ध्वज पताक पट चमर सुहाए ॥१॥

दीप मनोहर मनिमय नाना । जाइ न बरनि बिचित्र बिताना ॥
जेहिं मंडप दुलहिनि बैदेही । सो बरनै असि मति कबि केही ॥२॥

दूलहु रामु रूप गुन सागर । सो बितानु तिहुँ लोक उजागर ॥
जनक भवन कै सौभा जैसी । गृह गृह प्रति पुर देखिअ तैसी ॥३॥

जेहिं तेरहुति तेहि समय निहारी । तेहि लघु लगहिं भुवन दस चारी ॥
जो संपदा नीच गृह सोहा । सो बिलोकि सुरनायक मोहा ॥४॥

(दोहा)
बसइ नगर जेहि लच्छ करि कपट नारि बर बेषु ॥
तेहि पुर कै सोभा कहत सकुचहिं सारद सेषु ॥ २८९ ॥

 

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