Sunday, 17 November, 2024

Dialogue between Sage Yajnavalkya and Bhardwaj

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Dialogue between Sage Yajnavalkya and Bhardwaj

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भरद्वाज आश्रम
 
(चौपाई)
भरद्वाज मुनि बसहिं प्रयागा । तिन्हहि राम पद अति अनुरागा ॥
तापस सम दम दया निधाना । परमारथ पथ परम सुजाना ॥१॥
 
माघ मकरगत रबि जब होई । तीरथपतिहिं आव सब कोई ॥
देव दनुज किंनर नर श्रेनी । सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं ॥२॥
 
पूजहि माधव पद जलजाता । परसि अखय बटु हरषहिं गाता ॥
भरद्वाज आश्रम अति पावन । परम रम्य मुनिबर मन भावन ॥३॥
 
तहाँ होइ मुनि रिषय समाजा । जाहिं जे मज्जन तीरथराजा ॥
मज्जहिं प्रात समेत उछाहा । कहहिं परसपर हरि गुन गाहा ॥४॥
 
(दोहा)
ब्रह्म निरूपम धरम बिधि बरनहिं तत्त्व बिभाग ।
कहहिं भगति भगवंत कै संजुत ग्यान बिराग ॥ ४४ ॥

 

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