Sunday, 8 September, 2024

Dialogue between Uma and Saptarishi

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उमा और सप्तर्षि का संवाद
 
(चौपाई)
सुनि बोलीं मुसकाइ भवानी । उचित कहेहु मुनिबर बिग्यानी ॥
तुम्हरें जान कामु अब जारा । अब लगि संभु रहे सबिकारा ॥१॥
 
हमरें जान सदा सिव जोगी । अज अनवद्य अकाम अभोगी ॥
जौं मैं सिव सेये अस जानी । प्रीति समेत कर्म मन बानी ॥२॥
 
तौ हमार पन सुनहु मुनीसा । करिहहिं सत्य कृपानिधि ईसा ॥
तुम्ह जो कहा हर जारेउ मारा । सोइ अति बड़ अबिबेकु तुम्हारा ॥३॥
 
तात अनल कर सहज सुभाऊ । हिम तेहि निकट जाइ नहिं काऊ ॥
गएँ समीप सो अवसि नसाई । असि मन्मथ महेस की नाई ॥४॥
 
(दोहा)
हियँ हरषे मुनि बचन सुनि देखि प्रीति बिस्वास ॥
चले भवानिहि नाइ सिर गए हिमाचल पास ॥ ९० ॥

 

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