Wednesday, 13 November, 2024

Duo visit Palatial garden

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राम लक्ष्मण शाही बगीचे की सैर करने चले
 
(चौपाई)
सकल सौच करि जाइ नहाए । नित्य निबाहि मुनिहि सिर नाए ॥
समय जानि गुर आयसु पाई । लेन प्रसून चले दोउ भाई ॥१॥

भूप बागु बर देखेउ जाई । जहँ बसंत रितु रही लोभाई ॥
लागे बिटप मनोहर नाना । बरन बरन बर बेलि बिताना ॥२॥

नव पल्लव फल सुमान सुहाए । निज संपति सुर रूख लजाए ॥
चातक कोकिल कीर चकोरा । कूजत बिहग नटत कल मोरा ॥३॥

मध्य बाग सरु सोह सुहावा । मनि सोपान बिचित्र बनावा ॥
बिमल सलिलु सरसिज बहुरंगा । जलखग कूजत गुंजत भृंगा ॥४॥

(दोहा)
बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत ।
परम रम्य आरामु यहु जो रामहि सुख देत ॥ २२७ ॥

 

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