रामकथा का प्रभाव
राम कथा गिरिजा मैं बरनी । कलि मल समनि मनोमल हरनी ॥
संसृति रोग सजीवन मूरी । राम कथा गावहिं श्रुति सूरी ॥
एहि महँ रुचिर सप्त सोपाना । रघुपति भगति केर पंथाना ॥
अति हरि कृपा जाहि पर होई । पाउँ देइ एहिं मारग सोई ॥२॥
मन कामना सिद्धि नर पावा । जे यह कथा कपट तजि गावा ॥
कहहिं सुनहिं अनुमोदन करहीं । ते गोपद इव भवनिधि तरहीं ॥३॥
सुनि सब कथा हृदयँ अति भाई । गिरिजा बोली गिरा सुहाई ॥
नाथ कृपाँ मम गत संदेहा । राम चरन उपजेउ नव नेहा ॥४॥
(दोहा)
मैं कृतकृत्य भइउँ अब तव प्रसाद बिस्वेस ।
उपजी राम भगति दृढ़ बीते सकल कलेस ॥ १२९ ॥