Envoy bring Janak’s message
By-Gujju01-05-2023
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महाराजा जनक का दूत समाचार लाता है
भरत बचन सुचि सुनि सुर हरषे । साधु सराहि सुमन सुर बरषे ॥
असमंजस बस अवध नेवासी । प्रमुदित मन तापस बनबासी ॥१॥
चुपहिं रहे रघुनाथ सँकोची । प्रभु गति देखि सभा सब सोची ॥
जनक दूत तेहि अवसर आए । मुनि बसिष्ठँ सुनि बेगि बोलाए ॥२॥
करि प्रनाम तिन्ह रामु निहारे । बेषु देखि भए निपट दुखारे ॥
दूतन्ह मुनिबर बूझी बाता । कहहु बिदेह भूप कुसलाता ॥३॥
सुनि सकुचाइ नाइ महि माथा । बोले चर बर जोरें हाथा ॥
बूझब राउर सादर साईं । कुसल हेतु सो भयउ गोसाईं ॥४॥
(दोहा)
नाहि त कोसल नाथ कें साथ कुसल गइ नाथ ।
मिथिला अवध बिसेष तें जगु सब भयउ अनाथ ॥ २७० ॥