मिथिला में उत्सव का माहौल
(चौपाई)
रामहि देखि बरात जुड़ानी । प्रीति कि रीति न जाति बखानी ॥
नृप समीप सोहहिं सुत चारी । जनु धन धरमादिक तनुधारी ॥१॥
सुतन्ह समेत दसरथहि देखी । मुदित नगर नर नारि बिसेषी ॥
सुमन बरिसि सुर हनहिं निसाना । नाकनटीं नाचहिं करि गाना ॥२॥
सतानंद अरु बिप्र सचिव गन । मागध सूत बिदुष बंदीजन ॥
सहित बरात राउ सनमाना । आयसु मागि फिरे अगवाना ॥३॥
प्रथम बरात लगन तें आई । तातें पुर प्रमोदु अधिकाई ॥
ब्रह्मानंदु लोग सब लहहीं । बढ़हुँ दिवस निसि बिधि सन कहहीं ॥४॥
(दोहा)
रामु सीय सोभा अवधि सुकृत अवधि दोउ राज ।
जहँ जहँ पुरजन कहहिं अस मिलि नर नारि समाज ॥ ३०९ ॥