Khar-Dushan attack Ram for revenge
By-Gujju27-04-2023
Khar-Dushan attack Ram for revenge
By Gujju27-04-2023
खर-दूषण का श्रीराम पर हमला
नाक कान बिनु भइ बिकरारा । जनु स्त्रव सैल गैरु कै धारा ॥
खर दूषन पहिं गइ बिलपाता । धिग धिग तव पौरुष बल भ्राता ॥१॥
तेहि पूछा सब कहेसि बुझाई । जातुधान सुनि सेन बनाई ॥
धाए निसिचर निकर बरूथा । जनु सपच्छ कज्जल गिरि जूथा ॥२॥
नाना बाहन नानाकारा । नानायुध धर घोर अपारा ॥
सुपनखा आगें करि लीनी । असुभ रूप श्रुति नासा हीनी ॥३॥
असगुन अमित होहिं भयकारी । गनहिं न मृत्यु बिबस सब झारी ॥
गर्जहि तर्जहिं गगन उड़ाहीं । देखि कटकु भट अति हरषाहीं ॥४॥
कोउ कह जिअत धरहु द्वौ भाई । धरि मारहु तिय लेहु छड़ाई ॥
धूरि पूरि नभ मंडल रहा । राम बोलाइ अनुज सन कहा ॥५॥
लै जानकिहि जाहु गिरि कंदर । आवा निसिचर कटकु भयंकर ॥
रहेहु सजग सुनि प्रभु कै बानी । चले सहित श्री सर धनु पानी ॥६॥
देखि राम रिपुदल चलि आवा । बिहसि कठिन कोदंड चढ़ावा ॥ ७ ॥
(छंद)
कोदंड कठिन चढ़ाइ सिर जट जूट बाँधत सोह क्यों ।
मरकत सयल पर लरत दामिनि कोटि सों जुग भुजग ज्यों ॥
कटि कसि निषंग बिसाल भुज गहि चाप बिसिख सुधारि कै ॥
चितवत मनहुँ मृगराज प्रभु गजराज घटा निहारि कै ॥
(सोरठा)
आइ गए बगमेल धरहु धरहु धावत सुभट ।
जथा बिलोकि अकेल बाल रबिहि घेरत दनुज ॥ १८ ॥