Sunday, 17 November, 2024

Lanka Kand Doha 26

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Lanka Kand  							Doha 26

Lanka Kand Doha 26

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अंगद और रावण का संवाद
 
सुनि अंगद सकोप कह बानी । बोलु सँभारि अधम अभिमानी ॥
सहसबाहु भुज गहन अपारा । दहन अनल सम जासु कुठारा ॥१॥
 
जासु परसु सागर खर धारा । बूड़े नृप अगनित बहु बारा ॥
तासु गर्ब जेहि देखत भागा । सो नर क्यों दससीस अभागा ॥२॥
 
राम मनुज कस रे सठ बंगा । धन्वी कामु नदी पुनि गंगा ॥
पसु सुरधेनु कल्पतरु रूखा । अन्न दान अरु रस पीयूषा ॥३॥
 
बैनतेय खग अहि सहसानन । चिंतामनि पुनि उपल दसानन ॥
सुनु मतिमंद लोक बैकुंठा । लाभ कि रघुपति भगति अकुंठा ॥४॥
 
(दोहा)
सेन सहित तब मान मथि बन उजारि पुर जारि ॥
कस रे सठ हनुमान कपि गयउ जो तव सुत मारि ॥ २६ ॥

 

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