Monday, 23 December, 2024

Manu and Shatarupa start penance

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Manu and Shatarupa start penance

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मनु और शतरूपा का तप प्रारंभ
 
(चौपाई)
करहिं अहार साक फल कंदा । सुमिरहिं ब्रह्म सच्चिदानंदा ॥
पुनि हरि हेतु करन तप लागे । बारि अधार मूल फल त्यागे ॥१॥

उर अभिलाष निंरंतर होई । देखा नयन परम प्रभु सोई ॥
अगुन अखंड अनंत अनादी । जेहि चिंतहिं परमारथबादी ॥२॥

नेति नेति जेहि बेद निरूपा । निजानंद निरुपाधि अनूपा ॥
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना । उपजहिं जासु अंस तें नाना ॥३॥

ऐसेउ प्रभु सेवक बस अहई । भगत हेतु लीलातनु गहई ॥
जौं यह बचन सत्य श्रुति भाषा । तौ हमार पूजहि अभिलाषा ॥४॥

(दोहा)
एहि बिधि बीतें बरष षट सहस बारि आहार ।
संबत सप्त सहस्त्र पुनि रहे समीर अधार ॥ १४४ ॥

 

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