Sunday, 17 November, 2024

Meghnad perform yajna to be invincible

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Meghnad perform yajna to be invincible

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अजेय होने के लिए मेघनाद ने यज्ञ किया
 
मेघनाद के मुरछा जागी । पितहि बिलोकि लाज अति लागी ॥
तुरत गयउ गिरिबर कंदरा । करौं अजय मख अस मन धरा ॥१॥
 
इहाँ बिभीषन मंत्र बिचारा । सुनहु नाथ बल अतुल उदारा ॥
मेघनाद मख करइ अपावन । खल मायावी देव सतावन ॥२॥
 
जौं प्रभु सिद्ध होइ सो पाइहि । नाथ बेगि पुनि जीति न जाइहि ॥
सुनि रघुपति अतिसय सुख माना । बोले अंगदादि कपि नाना ॥३॥
 
लछिमन संग जाहु सब भाई । करहु बिधंस जग्य कर जाई ॥
तुम्ह लछिमन मारेहु रन ओही । देखि सभय सुर दुख अति मोही ॥४॥
 
मारेहु तेहि बल बुद्धि उपाई । जेहिं छीजै निसिचर सुनु भाई ॥
जामवंत सुग्रीव बिभीषन । सेन समेत रहेहु तीनिउ जन ॥५॥
 
जब रघुबीर दीन्हि अनुसासन । कटि निषंग कसि साजि सरासन ॥
प्रभु प्रताप उर धरि रनधीरा । बोले घन इव गिरा गँभीरा ॥६॥
 
जौं तेहि आजु बधें बिनु आवौं । तौ रघुपति सेवक न कहावौं ॥
जौं सत संकर करहिं सहाई । तदपि हतउँ रघुबीर दोहाई ॥७॥
 
(दोहा)
रघुपति चरन नाइ सिरु चलेउ तुरंत अनंत ।
अंगद नील मयंद नल संग सुभट हनुमंत ॥ ७५ ॥

 

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