विश्वमोहिनी पाने के लिए नारद ने भगवान से सहायता मांगी
(चौपाई)
हरि सन मागौं सुंदरताई । होइहि जात गहरु अति भाई ॥
मोरें हित हरि सम नहिं कोऊ । एहि अवसर सहाय सोइ होऊ ॥१॥
बहुबिधि बिनय कीन्हि तेहि काला । प्रगटेउ प्रभु कौतुकी कृपाला ॥
प्रभु बिलोकि मुनि नयन जुड़ाने । होइहि काजु हिएँ हरषाने ॥२॥
अति आरति कहि कथा सुनाई । करहु कृपा करि होहु सहाई ॥
आपन रूप देहु प्रभु मोही । आन भाँति नहिं पावौं ओही ॥३॥
जेहि बिधि नाथ होइ हित मोरा । करहु सो बेगि दास मैं तोरा ॥
निज माया बल देखि बिसाला । हियँ हँसि बोले दीनदयाला ॥४॥
(दोहा)
जेहि बिधि होइहि परम हित नारद सुनहु तुम्हार ।
सोइ हम करब न आन कछु बचन न मृषा हमार ॥ १३२ ॥