राम के वचन परशुराम पर बेअसर
(चौपाई)
बहइ न हाथु दहइ रिस छाती । भा कुठारु कुंठित नृपघाती ॥
भयउ बाम बिधि फिरेउ सुभाऊ । मोरे हृदयँ कृपा कसि काऊ ॥१॥
आजु दया दुखु दुसह सहावा । सुनि सौमित्र बिहसि सिरु नावा ॥
बाउ कृपा मूरति अनुकूला । बोलत बचन झरत जनु फूला ॥२॥
जौं पै कृपाँ जरिहिं मुनि गाता । क्रोध भएँ तनु राख बिधाता ॥
देखु जनक हठि बालक एहू । कीन्ह चहत जड़ जमपुर गेहू ॥३॥
बेगि करहु किन आँखिन्ह ओटा । देखत छोट खोट नृप ढोटा ॥
बिहसे लखनु कहा मन माहीं । मूदें आँखि कतहुँ कोउ नाहीं ॥४॥
(दोहा)
परसुरामु तब राम प्रति बोले उर अति क्रोधु ।
संभु सरासनु तोरि सठ करसि हमार प्रबोधु ॥ २८० ॥