Sunday, 17 November, 2024

Punish me if I am guilty – Bharat

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Punish me if I am guilty – Bharat

Punish me if I am guilty – Bharat

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अगर मै दोषी हूँ तो मुझे सजा मिले – भरत
 
बेचहिं बेदु धरमु दुहि लेहीं । पिसुन पराय पाप कहि देहीं ॥
कपटी कुटिल कलहप्रिय क्रोधी । बेद बिदूषक बिस्व बिरोधी ॥१॥
 
लोभी लंपट लोलुपचारा । जे ताकहिं परधनु परदारा ॥
पावौं मैं तिन्ह के गति घोरा । जौं जननी यहु संमत मोरा ॥२॥
 
जे नहिं साधुसंग अनुरागे । परमारथ पथ बिमुख अभागे ॥
जे न भजहिं हरि नरतनु पाई । जिन्हहि न हरि हर सुजसु सोहाई ॥३॥
 
तजि श्रुतिपंथु बाम पथ चलहीं । बंचक बिरचि बेष जगु छलहीं ॥
तिन्ह कै गति मोहि संकर देऊ । जननी जौं यहु जानौं भेऊ ॥४॥
 
(दोहा)    
मातु भरत के बचन सुनि साँचे सरल सुभायँ ।
कहति राम प्रिय तात तुम्ह सदा बचन मन कायँ ॥ १६८ ॥

 

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