Sunday, 17 November, 2024

Ram console Mandodari

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श्रीराम द्वारा मंदोदरी को सांत्वना
 
मंदोदरी बचन सुनि काना । सुर मुनि सिद्ध सबन्हि सुख माना ॥
अज महेस नारद सनकादी । जे मुनिबर परमारथबादी ॥१॥
 
भरि लोचन रघुपतिहि निहारी । प्रेम मगन सब भए सुखारी ॥
रुदन करत देखीं सब नारी । गयउ बिभीषनु मन दुख भारी ॥२॥
 
बंधु दसा बिलोकि दुख कीन्हा । तब प्रभु अनुजहि आयसु दीन्हा ॥
लछिमन तेहि बहु बिधि समुझायो । बहुरि बिभीषन प्रभु पहिं आयो ॥३॥
 
कृपादृष्टि प्रभु ताहि बिलोका । करहु क्रिया परिहरि सब सोका ॥
कीन्हि क्रिया प्रभु आयसु मानी । बिधिवत देस काल जियँ जानी ॥४॥
 
(दोहा)
मंदोदरी आदि सब देइ तिलांजलि ताहि ।
भवन गई रघुपति गुन गन बरनत मन माहि ॥ १०५ ॥

 

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