Thursday, 14 November, 2024

Ram embrace Bharat

128 Views
Share :
Ram embrace Bharat

Ram embrace Bharat

128 Views

श्रीराम भरत को गले मिलते है
 
सानुज सखा समेत मगन मन । बिसरे हरष सोक सुख दुख गन ॥
पाहि नाथ कहि पाहि गोसाई । भूतल परे लकुट की नाई ॥१॥
 
बचन सपेम लखन पहिचाने । करत प्रनामु भरत जियँ जाने ॥
बंधु सनेह सरस एहि ओरा । उत साहिब सेवा बस जोरा ॥२॥
 
मिलि न जाइ नहिं गुदरत बनई । सुकबि लखन मन की गति भनई ॥
रहे राखि सेवा पर भारू । चढ़ी चंग जनु खैंच खेलारू ॥३॥
 
कहत सप्रेम नाइ महि माथा । भरत प्रनाम करत रघुनाथा ॥
उठे रामु सुनि पेम अधीरा । कहुँ पट कहुँ निषंग धनु तीरा ॥४॥
 
(दोहा)   
बरबस लिए उठाइ उर लाए कृपानिधान ।
भरत राम की मिलनि लखि बिसरे सबहि अपान ॥ २४० ॥

 

Share :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *