श्रीराम हनुमान को अपना परिचय देते है
कोसलेस दसरथ के जाए । हम पितु बचन मानि बन आए ॥
नाम राम लछिमन दौउ भाई । संग नारि सुकुमारि सुहाई ॥१॥
इहाँ हरि निसिचर बैदेही । बिप्र फिरहिं हम खोजत तेही ॥
आपन चरित कहा हम गाई । कहहु बिप्र निज कथा बुझाई ॥२॥
प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना । सो सुख उमा नहिं बरना ॥
पुलकित तन मुख आव न बचना । देखत रुचिर बेष कै रचना ॥३॥
पुनि धीरजु धरि अस्तुति कीन्ही । हरष हृदयँ निज नाथहि चीन्ही ॥
मोर न्याउ मैं पूछा साईं । तुम्ह पूछहु कस नर की नाईं ॥४॥
तव माया बस फिरउँ भुलाना । ता ते मैं नहिं प्रभु पहिचाना ॥ ५ ॥
(दोहा)
एकु मैं मंद मोहबस कुटिल हृदय अग्यान ।
पुनि प्रभु मोहि बिसारेउ दीनबंधु भगवान ॥ २ ॥