राम ने बाण से ताडका का वध किया
(चौपाई)
अरुन नयन उर बाहु बिसाला । नील जलज तनु स्याम तमाला ॥
कटि पट पीत कसें बर भाथा । रुचिर चाप सायक दुहुँ हाथा ॥१॥
स्याम गौर सुंदर दोउ भाई । बिस्बामित्र महानिधि पाई ॥
प्रभु ब्रह्मन्यदेव मै जाना । मोहि निति पिता तजेहु भगवाना ॥२॥
चले जात मुनि दीन्हि दिखाई । सुनि ताड़का क्रोध करि धाई ॥
एकहिं बान प्रान हरि लीन्हा । दीन जानि तेहि निज पद दीन्हा ॥३॥
तब रिषि निज नाथहि जियँ चीन्ही । बिद्यानिधि कहुँ बिद्या दीन्ही ॥
जाते लाग न छुधा पिपासा । अतुलित बल तनु तेज प्रकासा ॥४॥
(दोहा)
आयुष सब समर्पि कै प्रभु निज आश्रम आनि ।
कंद मूल फल भोजन दीन्ह भगति हित जानि ॥ २०९ ॥