Ram leave for Lake Pampa
By-Gujju27-04-2023
Ram leave for Lake Pampa
By Gujju27-04-2023
शबरी ने श्रीराम को पंपा सरोवर की ओर जाने को कहा
मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा । पंचम भजन सो बेद प्रकासा ॥
छठ दम सील बिरति बहु करमा । निरत निरंतर सज्जन धरमा ॥१॥
सातवँ सम मोहि मय जग देखा । मोतें संत अधिक करि लेखा ॥
आठवँ जथालाभ संतोषा । सपनेहुँ नहिं देखइ परदोषा ॥२॥
नवम सरल सब सन छलहीना । मम भरोस हियँ हरष न दीना ॥
नव महुँ एकउ जिन्ह के होई । नारि पुरुष सचराचर कोई ॥३॥
सोइ अतिसय प्रिय भामिनि मोरे । सकल प्रकार भगति दृढ़ तोरें ॥
जोगि बृंद दुरलभ गति जोई । तो कहुँ आजु सुलभ भइ सोई ॥४॥
मम दरसन फल परम अनूपा । जीव पाव निज सहज सरूपा ॥
जनकसुता कइ सुधि भामिनी । जानहि कहु करिबरगामिनी ॥५॥
पंपा सरहि जाहु रघुराई । तहँ होइहि सुग्रीव मिताई ॥
सो सब कहिहि देव रघुबीरा । जानतहूँ पूछहु मतिधीरा ॥६॥
बार बार प्रभु पद सिरु नाई । प्रेम सहित सब कथा सुनाई ॥७॥
(छंद)
कहि कथा सकल बिलोकि हरि मुख हृदयँ पद पंकज धरे ।
तजि जोग पावक देह हरि पद लीन भइ जहँ नहिं फिरे ॥
नर बिबिध कर्म अधर्म बहु मत सोकप्रद सब त्यागहू ।
बिस्वास करि कह दास तुलसी राम पद अनुरागहू ॥
(दोहा)
जाति हीन अघ जन्म महि मुक्त कीन्हि असि नारि ।
महामंद मन सुख चहसि ऐसे प्रभुहि बिसारि ॥ ३६ ॥