Ram meet Kaushalya
By-Gujju01-05-2023
Ram meet Kaushalya
By Gujju01-05-2023
श्रीराम कौशल्या और अन्य माताओं से मिले
भरतानुज लछिमन पुनि भेंटे । दुसह बिरह संभव दुख मेटे ॥
सीता चरन भरत सिरु नावा । अनुज समेत परम सुख पावा ॥१॥
प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी । जनित बियोग बिपति सब नासी ॥
प्रेमातुर सब लोग निहारी । कौतुक कीन्ह कृपाल खरारी ॥२॥
अमित रूप प्रगटे तेहि काला । जथाजोग मिले सबहि कृपाला ॥
कृपादृष्टि रघुबीर बिलोकी । किए सकल नर नारि बिसोकी ॥३॥
छन महिं सबहि मिले भगवाना । उमा मरम यह काहुँ न जाना ॥
एहि बिधि सबहि सुखी करि रामा । आगें चले सील गुन धामा ॥४॥
कौसल्यादि मातु सब धाई । निरखि बच्छ जनु धेनु लवाई ॥५॥
(छंद)
जनु धेनु बालक बच्छ तजि गृहँ चरन बन परबस गईं ।
दिन अंत पुर रुख स्त्रवत थन हुंकार करि धावत भई ॥
अति प्रेम सब मातु भेटीं बचन मृदु बहुबिधि कहे ।
गइ बिषम बियोग भव तिन्ह हरष सुख अगनित लहे ॥
(दोहा)
भेटेउ तनय सुमित्राँ राम चरन रति जानि ।
रामहि मिलत कैकेई हृदयँ बहुत सकुचानि ॥ ६(क) ॥
लछिमन सब मातन्ह मिलि हरषे आसिष पाइ ।
कैकेइ कहँ पुनि पुनि मिले मन कर छोभु न जाइ ॥ ६(ख) ॥