Ram reach Sage Agatsya’s ashram
By-Gujju27-04-2023
Ram reach Sage Agatsya’s ashram
By Gujju27-04-2023
श्रीराम अगत्स्य ऋषि के आश्रम पहूँचे
एवमस्तु करि रमानिवासा । हरषि चले कुभंज रिषि पासा ॥
बहुत दिवस गुर दरसन पाएँ । भए मोहि एहिं आश्रम आएँ ॥१॥
अब प्रभु संग जाउँ गुर पाहीं । तुम्ह कहँ नाथ निहोरा नाहीं ॥
देखि कृपानिधि मुनि चतुराई । लिए संग बिहसै द्वौ भाई ॥२॥
पंथ कहत निज भगति अनूपा । मुनि आश्रम पहुँचे सुरभूपा ॥
तुरत सुतीछन गुर पहिं गयऊ । करि दंडवत कहत अस भयऊ ॥३॥
नाथ कौसलाधीस कुमारा । आए मिलन जगत आधारा ॥
राम अनुज समेत बैदेही । निसि दिनु देव जपत हहु जेही ॥४॥
सुनत अगस्ति तुरत उठि धाए । हरि बिलोकि लोचन जल छाए ॥
मुनि पद कमल परे द्वौ भाई । रिषि अति प्रीति लिए उर लाई ॥५॥
सादर कुसल पूछि मुनि ग्यानी । आसन बर बैठारे आनी ॥
पुनि करि बहु प्रकार प्रभु पूजा । मोहि सम भाग्यवंत नहिं दूजा ॥६॥
जहँ लगि रहे अपर मुनि बृंदा । हरषे सब बिलोकि सुखकंदा ॥७॥
(दोहा)
मुनि समूह महँ बैठे सन्मुख सब की ओर ।
सरद इंदु तन चितवत मानहुँ निकर चकोर ॥ १२ ॥