श्रीराम अवतार का कारण
(चौपाई)
सुनु गिरिजा हरिचरित सुहाए । बिपुल बिसद निगमागम गाए ॥
हरि अवतार हेतु जेहि होई । इदमित्थं कहि जाइ न सोई ॥१॥
राम अतर्क्य बुद्धि मन बानी । मत हमार अस सुनहि सयानी ॥
तदपि संत मुनि बेद पुराना । जस कछु कहहिं स्वमति अनुमाना ॥२॥
तस मैं सुमुखि सुनावउँ तोही । समुझि परइ जस कारन मोही ॥
जब जब होइ धरम कै हानी । बाढहिं असुर अधम अभिमानी ॥३॥
करहिं अनीति जाइ नहिं बरनी । सीदहिं बिप्र धेनु सुर धरनी ॥
तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा । हरहि कृपानिधि सज्जन पीरा ॥४॥
(दोहा)
असुर मारि थापहिं सुरन्ह राखहिं निज श्रुति सेतु ।
जग बिस्तारहिं बिसद जस राम जन्म कर हेतु ॥ १२१ ॥