राज-परिवार विवाह के लिए तैयार
(चौपाई)
भूप भरत पुनि लिए बोलाई । हय गय स्यंदन साजहु जाई ॥
चलहु बेगि रघुबीर बराता । सुनत पुलक पूरे दोउ भ्राता ॥१॥
भरत सकल साहनी बोलाए । आयसु दीन्ह मुदित उठि धाए ॥
रचि रुचि जीन तुरग तिन्ह साजे । बरन बरन बर बाजि बिराजे ॥२॥
सुभग सकल सुठि चंचल करनी । अय इव जरत धरत पग धरनी ॥
नाना जाति न जाहिं बखाने । निदरि पवनु जनु चहत उड़ाने ॥३॥
तिन्ह सब छयल भए असवारा । भरत सरिस बय राजकुमारा ॥
सब सुंदर सब भूषनधारी । कर सर चाप तून कटि भारी ॥४॥
(दोहा)
छरे छबीले छयल सब सूर सुजान नबीन ।
जुग पदचर असवार प्रति जे असिकला प्रबीन ॥ २९८ ॥