Monday, 18 November, 2024

Sages sing Ram’s glory

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मुनियों द्वारा श्रीराम की वंदना 
 
(छंद)
नमामि भक्त वत्सलं। कृपालु शील कोमलं ॥
भजामि ते पदांबुजं। अकामिनां स्वधामदं ॥
निकाम श्याम सुंदरं। भवाम्बुनाथ मंदरं ॥
प्रफुल्ल कंज लोचनं। मदादि दोष मोचनं ॥
 
प्रलंब बाहु विक्रमं। प्रभोऽप्रमेय वैभवं ॥
निषंग चाप सायकं। धरं त्रिलोक नायकं ॥
दिनेश वंश मंडनं। महेश चाप खंडनं ॥
मुनींद्र संत रंजनं। सुरारि वृंद भंजनं ॥
 
मनोज वैरि वंदितं। अजादि देव सेवितं ॥
विशुद्ध बोध विग्रहं। समस्त दूषणापहं ॥
नमामि इंदिरा पतिं। सुखाकरं सतां गतिं ॥
भजे सशक्ति सानुजं। शची पतिं प्रियानुजं ॥
 
त्वदंघ्रि मूल ये नराः। भजंति हीन मत्सरा ॥
पतंति नो भवार्णवे। वितर्क वीचि संकुले ॥
विविक्त वासिनः सदा। भजंति मुक्तये मुदा ॥
निरस्य इंद्रियादिकं। प्रयांति ते गतिं स्वकं ॥
 
तमेकमभ्दुतं प्रभुं। निरीहमीश्वरं विभुं ॥
जगद्गुरुं च शाश्वतं। तुरीयमेव केवलं ॥
भजामि भाव वल्लभं। कुयोगिनां सुदुर्लभं ॥
स्वभक्त कल्प पादपं। समं सुसेव्यमन्वहं ॥
 
अनूप रूप भूपतिं। नतोऽहमुर्विजा पतिं ॥
प्रसीद मे नमामि ते। पदाब्ज भक्ति देहि मे ॥
पठंति ये स्तवं इदं। नरादरेण ते पदं ॥
व्रजंति नात्र संशयं। त्वदीय भक्ति संयुता ॥

(दोहा)
बिनती करि मुनि नाइ सिरु कह कर जोरि बहोरि।
चरन सरोरुह नाथ जनि कबहुँ तजै मति मोरि ॥ ४ ॥

 

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