Salutations to Guru
By-Gujju01-05-2023
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श्री गुरु वंदना
(चौपाई)
बंदउ गुरु पद पदुम परागा । सुरुचि सुबास सरस अनुरागा ॥
अमिय मूरिमय चूरन चारू । समन सकल भव रुज परिवारू ॥१॥
सुकृति संभु तन बिमल बिभूती । मंजुल मंगल मोद प्रसूती ॥
जन मन मंजु मुकुर मल हरनी । किएँ तिलक गुन गन बस करनी ॥२॥
श्रीगुर पद नख मनि गन जोती । सुमिरत दिब्य द्रृष्टि हियँ होती ॥
दलन मोह तम सो सप्रकासू । बड़े भाग उर आवइ जासू ॥३॥
उघरहिं बिमल बिलोचन ही के । मिटहिं दोष दुख भव रजनी के ॥
सूझहिं राम चरित मनि मानिक । गुपुत प्रगट जहँ जो जेहि खानिक ॥४॥
(दोहा)
जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान ।
कौतुक देखत सैल बन भूतल भूरि निधान ॥१॥