सप्तर्षि द्नारा उमा की परीक्षा
(चौपाई)
रिषिन्ह गौरि देखी तहँ कैसी । मूरतिमंत तपस्या जैसी ॥
बोले मुनि सुनु सैलकुमारी । करहु कवन कारन तपु भारी ॥१॥
केहि अवराधहु का तुम्ह चहहू । हम सन सत्य मरमु किन कहहू ॥
कहत बचत मनु अति सकुचाई । हँसिहहु सुनि हमारि जड़ताई ॥२॥
मनु हठ परा न सुनइ सिखावा । चहत बारि पर भीति उठावा ॥
नारद कहा सत्य सोइ जाना । बिनु पंखन्ह हम चहहिं उड़ाना ॥३॥
देखहु मुनि अबिबेकु हमारा । चाहिअ सदा सिवहि भरतारा ॥ ४ ॥
(दोहा)
सुनत बचन बिहसे रिषय गिरिसंभव तब देह ।
नारद कर उपदेसु सुनि कहहु बसेउ किसु गेह ॥ ७८ ॥