Saturday, 16 November, 2024

Sight of Pushpak delight everyone

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पुष्पक विमान देखकर अयोध्यावासी हर्षित
 
हरषि भरत कोसलपुर आए । समाचार सब गुरहि सुनाए ॥
पुनि मंदिर महँ बात जनाई । आवत नगर कुसल रघुराई ॥१॥
 
सुनत सकल जननीं उठि धाईं । कहि प्रभु कुसल भरत समुझाई ॥
समाचार पुरबासिन्ह पाए । नर अरु नारि हरषि सब धाए ॥२॥
 
दधि दुर्बा रोचन फल फूला । नव तुलसी दल मंगल मूला ॥
भरि भरि हेम थार भामिनी । गावत चलिं सिंधु सिंधुरगामिनी ॥३॥
 
जे जैसेहिं तैसेहिं उटि धावहिं । बाल बृद्ध कहँ संग न लावहिं ॥
एक एकन्ह कहँ बूझहिं भाई । तुम्ह देखे दयाल रघुराई ॥४॥
 
अवधपुरी प्रभु आवत जानी । भई सकल सोभा कै खानी ॥
बहइ सुहावन त्रिबिध समीरा । भइ सरजू अति निर्मल नीरा ॥५॥
 
(दोहा)
हरषित गुर परिजन अनुज भूसुर बृंद समेत ।
चले भरत मन प्रेम अति सन्मुख कृपानिकेत ॥ ३(क) ॥ 
 
बहुतक चढ़ी अटारिन्ह निरखहिं गगन बिमान ।
देखि मधुर सुर हरषित करहिं सुमंगल गान ॥ ३(ख) ॥ 
 
राका ससि रघुपति पुर सिंधु देखि हरषान ।
बढ़यो कोलाहल करत जनु नारि तरंग समान ॥ ३(ग) ॥

 

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