उपवन में सीता का सखीओं के साथ आगमन
(चौपाई)
चहुँ दिसि चितइ पूँछि मालिगन । लगे लेन दल फूल मुदित मन ॥
तेहि अवसर सीता तहँ आई । गिरिजा पूजन जननि पठाई ॥१॥
संग सखीं सब सुभग सयानी । गावहिं गीत मनोहर बानी ॥
सर समीप गिरिजा गृह सोहा । बरनि न जाइ देखि मनु मोहा ॥२॥
मज्जनु करि सर सखिन्ह समेता । गई मुदित मन गौरि निकेता ॥
पूजा कीन्हि अधिक अनुरागा । निज अनुरूप सुभग बरु मागा ॥३॥
एक सखी सिय संगु बिहाई । गई रही देखन फुलवाई ॥
तेहि दोउ बंधु बिलोके जाई । प्रेम बिबस सीता पहिं आई ॥४॥
(दोहा)
तासु दसा देखि सखिन्ह पुलक गात जलु नैन ।
कहु कारनु निज हरष कर पूछहि सब मृदु बैन ॥ २२८ ॥