Sumitra advise Laxman to serve Ram
By-Gujju01-05-2023
Sumitra advise Laxman to serve Ram
By Gujju01-05-2023
राम की सेवा करने की सुमित्रा की सीख
पुत्रवती जुबती जग सोई । रघुपति भगतु जासु सुतु होई ॥
नतरु बाँझ भलि बादि बिआनी । राम बिमुख सुत तें हित जानी ॥१॥
तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं । दूसर हेतु तात कछु नाहीं ॥
सकल सुकृत कर बड़ फलु एहू । राम सीय पद सहज सनेहू ॥२॥
राग रोषु इरिषा मदु मोहू । जनि सपनेहुँ इन्ह के बस होहू ॥
सकल प्रकार बिकार बिहाई । मन क्रम बचन करेहु सेवकाई ॥३॥
तुम्ह कहुँ बन सब भाँति सुपासू । सँग पितु मातु रामु सिय जासू ॥
जेहिं न रामु बन लहहिं कलेसू । सुत सोइ करेहु इहइ उपदेसू ॥४॥
(छंद)
उपदेसु यहु जेहिं तात तुम्हरे राम सिय सुख पावहीं ।
पितु मातु प्रिय परिवार पुर सुख सुरति बन बिसरावहीं ।
तुलसी प्रभुहि सिख देइ आयसु दीन्ह पुनि आसिष दई ।
रति होउ अबिरल अमल सिय रघुबीर पद नित नित नई ॥
(सोरठा)
मातु चरन सिरु नाइ चले तुरत संकित हृदयँ ।
बागुर बिषम तोराइ मनहुँ भाग मृगु भाग बस ॥ ७५ ॥