Sunday, 22 December, 2024

The story of Pratapbhanu

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The story of Pratapbhanu

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प्रतापभानु की कहानी
 
(चौपाई)
सुनु मुनि कथा पुनीत पुरानी । जो गिरिजा प्रति संभु बखानी ॥
बिस्व बिदित एक कैकय देसू । सत्यकेतु तहँ बसइ नरेसू ॥१॥
 
धरम धुरंधर नीति निधाना । तेज प्रताप सील बलवाना ॥
तेहि कें भए जुगल सुत बीरा । सब गुन धाम महा रनधीरा ॥२॥
 
राज धनी जो जेठ सुत आही । नाम प्रतापभानु अस ताही ॥
अपर सुतहि अरिमर्दन नामा । भुजबल अतुल अचल संग्रामा ॥३॥
 
भाइहि भाइहि परम समीती । सकल दोष छल बरजित प्रीती ॥
जेठे सुतहि राज नृप दीन्हा । हरि हित आपु गवन बन कीन्हा ॥४॥
 
(दोहा)
जब प्रतापरबि भयउ नृप फिरी दोहाई देस ।
प्रजा पाल अति बेदबिधि कतहुँ नहीं अघ लेस ॥ १५३ ॥

 

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