Friday, 20 September, 2024

Vedas turn up to see Ram

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श्रीराम के दर्शन करने वेद प्रकट हुए
 
प्रभु बिलोकि मुनि मन अनुरागा । तुरत दिब्य सिंघासन मागा ॥
रबि सम तेज सो बरनि न जाई । बैठे राम द्विजन्ह सिरु नाई ॥१॥
 
जनकसुता समेत रघुराई । पेखि प्रहरषे मुनि समुदाई ॥
बेद मंत्र तब द्विजन्ह उचारे । नभ सुर मुनि जय जयति पुकारे ॥२॥
 
प्रथम तिलक बसिष्ट मुनि कीन्हा । पुनि सब बिप्रन्ह आयसु दीन्हा ॥
सुत बिलोकि हरषीं महतारी । बार बार आरती उतारी ॥३॥
 
बिप्रन्ह दान बिबिध बिधि दीन्हे । जाचक सकल अजाचक कीन्हे ॥
सिंघासन पर त्रिभुअन साई । देखि सुरन्ह दुंदुभीं बजाईं ॥४॥
 
(छंद)
नभ दुंदुभीं बाजहिं बिपुल गंधर्ब किंनर गावहीं ।
नाचहिं अपछरा बृंद परमानंद सुर मुनि पावहीं ॥
भरतादि अनुज बिभीषनांगद हनुमदादि समेत ते ।
गहें छत्र चामर ब्यजन धनु असि चर्म सक्ति बिराजते ॥
 
श्री सहित दिनकर बंस बूषन काम बहु छबि सोहई ।
नव अंबुधर बर गात अंबर पीत सुर मन मोहई ॥
मुकुटांगदादि बिचित्र भूषन अंग अंगन्हि प्रति सजे ।
अंभोज नयन बिसाल उर भुज धन्य नर निरखंति जे ॥
 
(दोहा)
वह सोभा समाज सुख कहत न बनइ खगेस ।
बरनहिं सारद सेष श्रुति सो रस जान महेस ॥ १२(क) ॥ 
 
भिन्न भिन्न अस्तुति करि गए सुर निज निज धाम ।
बंदी बेष बेद तब आए जहँ श्रीराम ॥ १२(ख) ॥ 
 
प्रभु सर्बग्य कीन्ह अति आदर कृपानिधान ।
लखेउ न काहूँ मरम कछु लगे करन गुन गान ॥ १२(ग) ॥

 

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