Sunday, 17 November, 2024

Ayodhya Kand Doha 49

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Ayodhya Kand  							Doha 49

Ayodhya Kand Doha 49

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अयोध्यावासीओं की प्रतिक्रिया  
 
एक बिधातहिं दूषनु देंहीं । सुधा देखाइ दीन्ह बिषु जेहीं ॥
खरभरु नगर सोचु सब काहू । दुसह दाहु उर मिटा उछाहू ॥१॥
 
बिप्रबधू कुलमान्य जठेरी । जे प्रिय परम कैकेई केरी ॥
लगीं देन सिख सीलु सराही । बचन बानसम लागहिं ताही ॥२॥
 
भरतु न मोहि प्रिय राम समाना । सदा कहहु यहु सबु जगु जाना ॥
करहु राम पर सहज सनेहू । केहिं अपराध आजु बनु देहू ॥३॥
 
कबहुँ न कियहु सवति आरेसू । प्रीति प्रतीति जान सबु देसू ॥
कौसल्याँ अब काह बिगारा । तुम्ह जेहि लागि बज्र पुर पारा ॥४॥
 
(दोहा) 
सीय कि पिय सँगु परिहरिहि लखनु कि रहिहहिं धाम ।
राजु कि भूँजब भरत पुर नृपु कि जीहि बिनु राम ॥ ४९ ॥

 

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